ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में द्वादश राशियो में गोचर करते हुए दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। जिसे उत्तरायण और दक्षिणायन कहा जाता है। जिन की अवधि 6 -6 माह की होती है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सायन मकर संक्रांति 21 दिसम्बर उत्तरायण की शुरुआत होगी। सूर्य मकर राशि से कुम्भ,मीन,मेष,बृष, मिथुन राशि तक भ्रमण करता है। तब इस समय को उत्तरायण कहा जाता है। सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश सायन कर्क संक्रांति 21 जून दक्षिणायन की शुरुआत होगी। सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि में भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहा जाता है। साल भर की छ: ऋतुओं में से तीन ऋतुएं शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म ऋतुएं उत्तरायण की और तीन ऋतुएं वर्षा, शरद और हेमंत दक्षिणायन की होती हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण का समय देवताओ का दिन और दक्षिणायन का समय रात माना जाता है। उत्तरायण के समय दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण को सकारत्मकता का प्रतीक और दक्षिणायन को नकारत्मकता का प्रतीक माना गया है। इसलिए उत्तरायण में नए कार्य, गृह प्रवेश, विवाह, यज्ञ, जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। दक्षिणायन के समय रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं। दक्षिणायन में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
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उत्तरायण और दक्षिणायन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में द्वादश राशियो में गोचर करते हुए दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। जिसे उत्तरायण और दक्षिणायन कहा जाता है। जिन की अवधि 6 -6 माह की होती है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सायन मकर संक्रांति 21 दिसम्बर उत्तरायण की शुरुआत होगी। सूर्य मकर राशि से कुम्भ,मीन,मेष,बृष, मिथुन राशि तक भ्रमण करता है। तब इस समय को उत्तरायण कहा जाता है। सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश सायन कर्क संक्रांति 21 जून दक्षिणायन की शुरुआत होगी। सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि में भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहा जाता है। साल भर की छ: ऋतुओं में से तीन ऋतुएं शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म ऋतुएं उत्तरायण की और तीन ऋतुएं वर्षा, शरद और हेमंत दक्षिणायन की होती हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण का समय देवताओ का दिन और दक्षिणायन का समय रात माना जाता है। उत्तरायण के समय दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण को सकारत्मकता का प्रतीक और दक्षिणायन को नकारत्मकता का प्रतीक माना गया है। इसलिए उत्तरायण में नए कार्य, गृह प्रवेश, विवाह, यज्ञ, जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। दक्षिणायन के समय रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं। दक्षिणायन में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
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