गणेश चतुर्थी मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। 2 सितंबर दिन सोमवार की शुरुआत हस्त नक्षत्र में होगी और गणेश जी की स्थापना चित्रा नक्षत्र में की जाएगी। मंगल के इस नक्षत्र में चंद्रमा होने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।जहां ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग के साथ सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है। ग्रहों और सितारों की इस शुभ स्थिति के कारण इस त्योहार का महत्व और शुभता और बढ़ जाएगी। ग्रह-नक्षत्रों के इस शुभ संयोग में गणेश प्रतिमा की स्थापना करने से सुख-समृद्धि और शांति मिलेगी। गणेशोत्सव  भाद्रपद की चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक 10 दिन चलता है। इस साल यह अवधि 2 सितंबर से 12 सितंबर तक रहेगी। 
गणेश जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त:-
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा। पंचांग के अनुसार अभिजित मुहूर्त सुबह लगभग 11.55 से दोपहर 12.40 तक रहेगा।

त्रिपाताकी चक्र

                                               
                                          



त्रिपातकी चक्र में विभिन्न ग्रहों की एक विशेष स्थिति वर्ष कुंडली के लगन के अनुसार होती है जो की जन्म कुंडली में स्थित ग्रहो को आरोही के अनुसार स्थित किया जाता है। जन्म समय की कुंडली में गृह जिस राशि में स्थित होते है वहा से शुरू होकर ग्रह हर साल एक राशि आगे बढ़ते हैं।
केंद्रीय ध्वज वार्षिक कुंडली के लग्न का प्रतिनिधित्व करता है। वर्ष कुंडली के समय में जो राशि उदित होती है।
त्रिपातकी चक्र में ग्रहो को स्थित करके लग्न और चन्द्रमा पर ग्रहो के वेध को देखा जा सकता है। विभिन्न ग्रहो का प्रभाव चन्द्रमा और लग्न पर वर्ष में कैसा रहेगा इस पर विचार किया जाता है।

मिथुन राशि में राहु के गोचर का राशिओ पर प्रभाव



राहु के गोचर का 12 राशिओ पर प्रभाव:-

मेष:- मेष राशि में राहु तीसरे भाव में स्वर्ण मूर्ति में गोचर करेगा। तीसरा भाव पराक्रम, साहस, छोटे भाई बहन का होता है। इस राशि वाले व्यक्तिओ के लिए राहु का यह गोचर काफी लाभदायक रहेगा। गोचर राहु के प्रभाव से आपको अचानक धन लाभ, भाग्य में वृद्धि, यात्राओं से लाभ, प्रकाशन के व्यवसाय में अच्छे परिणाम मिल सकते है।
बृष:- बृष राशि में राहु दूसरे भाव में ताम्र मूर्ति के साथ गोचर करेगा। कुंडली में दूसरा भाव वाणी, कुटुम्भ और धन का होता है। आपकी वाणी के कारण परिवार में विवाद , धन की हानि, नेत्र रोग हो सकता है। इस भाव में राहु का गोचर अशुभ होता
मिथुन:- मिथुन राशि में राहु लग्न में ही रजत मूर्ति के साथ गोचर करेगा। लग्न भाव शरीर, स्वास्थ्य, सवभाव और मान-सम्मान का होता है। प्रथम भाव में राहु मन को विचलित करेगा जिस के कारण स्वस्थ ख़राब हो सकता है। इस दौरान परेशानिया बढ़ेगी और मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। 
कर्क:- कर्क राशि में राहु द्वादश भाव में लोह मूर्ति के साथ गोचर करेगा। द्वादश भाव व्यव, हस्पताल, विदेश यात्रा और जेल का होता है। इस भाव में राहु से आर्थिक हानि, खर्चो में वृद्धि, पारिवारिक झगड़े की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
सिंह:- सिंह राशि में राहु एकादश भाव में ताम्र मूर्ति के साथ गोचर करेगा। एकादश भाव लाभ, बड़े भाई बहनो और इच्छाओ का होता है। इस भाव में राहु का गोचर शुभ माना जाता है। इस लिए व्यापर में लाभ, मान-सन्मान, अच्छा स्वास्थ्य, धन लाभ और पारिवारिक खुशिया मिल सकती है।
कन्या:- कन्या राशि में राहु दशम भाव में स्वर्ण मूर्ति के साथ गोचर करेगा। दशम भाव कर्म, करियर और व्यवसाय का होता है। इस भाव में गोचर राहु के  मिश्रित फल प्रपात होंगे।
तुला:- तुला राशि में राहु नवम भाव में रजत मूर्ति के साथ गोचर करेगा। नवम भाव भाग्य, धर्म, पिता और लम्भी यात्रा का होता है। त्रिकोण भाव में होने से लाभ हो सकता है। पारिवारिक परेशानिया बाद सकती है। पिता का स्वस्थ ख़राब हो सकता है।
बृश्चिक:- बृश्चिक राशि में राहु अष्टम भाव में लोह मूर्ति के साथ गोचर करेगा। अष्टम भाव अपमान, दुर्घटनाये और आयु का होता है। अष्टम भाव में राहु का गोचर अशुभ माना जाता है। आर्थिक हानि हो सकती है। परेशानिया बढ़ेगी और मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। 
धनु:- धनु  राशि में राहु सप्तम भाव में ताम्र मूर्ति के साथ गोचर करेगा। सप्तम भाव व्यक्ति के जीवन साथी, वैवाहिक जीवन, पार्टनरशिप का होता है।  वैवाहिक सम्बन्दो में वाद-विवाद हो सकता है। मानसिक परेशानिया बाद सकती है। पार्टनरशिप में मतभेद पैदा हो सकते है।
मकर:- मकर राशि में राहु छठे भाव में रजत मूर्ति के साथ गोचर करेगा। छठा भाव शत्रु, ऋण और रोग का होता है। इस भाव में राहु के गोचर के  अच्छे परिणाम मिलेंगे। आपके भाग्य और करियर में उन्नति होगी। नौकरी में भी पदोन्नति  हो सकती है। छात्रों को परीक्षा में आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। 
कुम्भ:- कुम्भ राशि में राहु पंचम भाव में स्वर्ण मूर्ति के साथ गोचर करेगा। पंचम भाव संतान सुख, प्रेम और बुद्धि का होता है। पंचम भाव में राहु संतान को समस्या उत्पन कर सकता है। बुद्धि को भ्रमित कर सकता है जिस के कारन आर्थिक है हो सकती है।
मीन:- मीन राशि में राहु का गोचर चतुर्थ भाव में लोह मूर्ति के साथ गोचर करेगा। चतुर्थ भाव  भूमि, वाहन, सुख-सुविधाएं और माता का होता है। आपकी माता का स्वस्थ बिगड़ सकता है। मानसिक और पारिवारिक चिंताए बढ़ेगी। आर्थिक क्षेत्र में आमदनी की अपेक्षा ख़र्च में वृद्धि हो सकती है।