हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार माँ भगवती की शक्ति
से धरती पर सभी प्रकार के कार्य सम्पन होते है। नवरात्री का त्योहार वर्ष में दो बार
चैत्र मास में और आश्विन मास में आत्ता है। आश्विन मास के इन नवरात्रों को शारदीय नवरात्र
भी कहा जाता है। अश्विन
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक व्रत रख कर माँ को प्रसन किया जाता हैं।
आमतौर
पर शारदीय नवरात्रे 9 दिन के होते है लेकिन इस बार नवरात्रे 10 दिन तक चलेगे। 1अक्टूबर 2016 दिन शनिवार कलश की स्थापना के बाद माँ के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा होगी। आश्विन
मास की नवरात्री के दौरान ही भगवान राम जी की पूजा और रामलीला भी अहम होती है। नौ दिनों
तक चलने वाले इस महापर्व को मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रहमचारिणी,
चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी
की पूजा की जाती है।
नवरात्र पर्व की प्रतिपदा के दिन स्नानादि करके ईष्ट
देव की पूजा करने के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद कलश में आम के पते व्
पानी डाले। कलश पर पानी वाले नारियल को लाल कपडे से या लाल मोली से बांध कर रखे। उसमे
एक बादाम ,दो सुपारी ,एक सिका जरूर डाले। इसके बाद जोत व् धुप बत्ती जला कर माँ सरस्वती,माँ
लक्ष्मी,माँ दुर्गा और उनके सभी रूपो की पूजा करे तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
नवरात्रों के ख़तम होने पर घर में कलश के जल का छिड़काव करे और चना, हलवा, खीर आदि से
भोग लगाकर कन्या पूजन करे।