हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार अगर किसी मनुष्य का
विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाये तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और उस
की आत्मा इस संसार में भटकती रहती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को कुंडली
के अन्य दोषों में से एक माना जाता है। जन्म कुंडली में पितृ दोष होने पर ऐसे लोगों
को पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अवश्य करना चाहिये। पितरों की अशांति के कारण मनुष्य
को जीवन में धन हानि, संतान और स्वस्थ सम्बन्धी अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना
पड़ता है। पितरो की शांति के लिये हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष
अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष श्राद्ध के लिये तय है। ज्योतिषीय
द्रिष्टि से इस समय सूर्य कन्या राशि में गोचर करता है।
श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों के नाम जो व्यक्ति तिल, चावल, जौ, कुशा और गंगाजल के साथ संकल्प पूर्वक
पिण्डदान और तर्पण करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन, फल, दक्षिणा और वस्त्रआदि देता
है। उसके पितृ संतुष्ट होते है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि, स्वस्थ जीवन, दीर्घयु, धन-यश-सम्पदा
आदि का आशीर्वाद देते है।
श्राद्ध दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि आने
पर श्रद्धापूर्वक किया जाता है। अगर किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका
श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य तिथियो में भी ऐसे ही श्राद्ध
किया जाता है। जिन पितरों के मरने की तिथि पता ना हो उनका श्राद्ध
अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है। जिन
परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका
श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साधु और संन्यासियों
का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।
वर्ष 2016 में पितृ पक्ष श्राद्ध की तिथियां:-
तारीख
दिन
श्राद्ध तिथियाँ
16 सितंबर
शुक्रवार
पूर्णिमा श्राद्ध
17 सितंबर
शनिवार
प्रतिपदा
18 सितंबर
रविवार
द्वितीया तिथि
19 सितंबर
सोमवार तृतीया - चतुर्थी
20 सितंबर
मंगलवार पंचमी तिथि
21 सितंबर
बुधवार
षष्ठी तिथि
22 सितंबर
गुरुवार
सप्तमी तिथि क्षय
23 सितंबर
शुक्रवार अष्टमी तिथि
24 सितंबर
शनिवार नवमी तिथि
25 सितंबर
रविवार दशमी तिथि
26 सितंबर
सोमवार एकादशी तिथि
27 सितंबर
मंगलवार द्वादशी तिथि
28 सितंबर बुधवार त्रयोदशी तिथि
29 सितंबर गुरुवार चतुर्दशी
30 सितंबर शुक्रवार अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध