विक्रम नव संवत 2075 वर्ष 2018 के अनुसार वर्ष का राजा और मंत्री आदि का फल

विक्रम नव संवत 2075 का शुभ आरम्भ वर्ष 2018 में चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 17 मार्च 2018 को सायं 6 बज कर 42 मिनट पर कन्या लग्न में शुरू हो रही है। 18 मार्च 2018 रविवार को सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि होने से उस दिन के स्वामी सूर्य को वर्ष का राजा माना जायेगा। 'विरोधकृत' नामक नव संवत होगा संवत का राजा सूर्य वाहन घोडा और वास व्यापारी के घर होने से इस वर्ष धन का प्रसार अधिक रहेगा।
रोहिणी का वास “सन्धि” पर होने से सामान्य वर्षा रहेगी। कई जगह अधिक वर्षा होने से बाढ़, भूकंप और कई जगह कम वर्षा होने के अभाव में फसलों के उत्पादन में कमी होगी। फल,सब्जी, धन्यदि, अनाजों का उत्पादन कम होने से महंगाई बढ़ेगी। व्यापारी वर्ग को लाभ होगा। इस वर्ष में आम जनता खुश नहीं रहेगी।
हिंदू पद्धति के अनुसार मंत्री का पद उस ग्रह को मिलाता है जो सूर्य की मेष संक्रांति के दिन का स्वामी होता है। इस वर्ष सूर्य 14 अप्रैल 2018 को दिन शनिवार मेष राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए इस वर्ष के मंत्री शनि ग्रह बन रहे हैं जो कि न्याय के कारक ग्रह हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार वर्ष का राजा सूर्य, मंत्री शनि, मेघेश शुक्र, सस्येश चंद्र, दुर्गेश शुक्र, धनेश चंद्र, रसेश बुध, धान्येश सूर्य, नीरसेश चंद्र, फलेश बृहस्पति होंगे। इन ग्रहों से संबंधित कार्य व वस्तुओं के उत्पादन पर असर पड़ेगा।
                          

                            
                       
राजा सूर्य और मंत्री शनि दोनों परस्पर विरोधी शत्रु गृह होने के कारण पूरा वर्ष राजनैतिक और समाजिक जगहों पर वैर-विरोध, आंतकवादी और हिंसक घटनाये अधिक होंगी। सीमाओं पर युद्ध की प्रस्थितिया बनेगी।
वर्ष का राजा सूर्य :- सूर्य अग्नि तत्व प्रधान गृह होने से वर्षा में कमी रहेगी। फल,फुल,धान्य फसलो और अनाज के उत्पादन में कमी रहेगी। गाय-भैंस आदि के दूध में कमी होगी। जनता में बिमारिओ की अधिकता, क्रोध,लड़ाई- झगडे और राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारीयो में परस्पर विरोध अधिक रहेगा। गर्मी के मौसम में तापमान में वृद्धि होगी। राजनैतिक पार्टियों में विरोध और अग्निकांड होने की सम्भावनाये बनेगी। 
वर्ष का मंत्री शनि :- शनि क्रूर प्रचण्ड गृह होने से प्रशासनिक अधिकारियो और राजनेताओं का व्यव्हार जनता के प्रति निर्दयतापूर्ण और सख्त होगा। वर्षा की कमी होगी जिसके कारण प्रकिर्तिक प्रकोप होने के योग बनेगे। लोहा, चमड़ा,सिक्का, बिल्डिंग मैटिरियल, स्टील, तेल और पेट्रोलियम पदार्थो में महगाई होगी। व्यापारी लोग लाभ अर्जित करेंगे। भ्र्ष्टाचार, बेईमानी और लूटमार की वारदाते अधिक होंगी। 
वर्ष का धनेश चंद्र :- चंद्र जल गृह होने के कारण रस वाले पदार्थो के व्यापर के द्वारा लाभ अच्छा होगा। चावल, घी, मिठाई, दूध, सुगंदित तेल और गुड़ आदि वस्तओं के व्यापर से भी अच्छे लाभ की सम्भावना है। 
वर्ष का धान्येश सूर्य :- धान्येश सूर्य होने से शारद ऋतू में पैदा होने वाली फसलों की पैदावार कम होगी। सभी खाद्य पदार्थो, धान्यादि अनाज महंगे होंगे। प्रशासनिक अधिकारी और राजनेताओ में विवाद उत्पन होंगे।आम लोगों में कई प्रकार की बीमारिया उत्पन हो सकती है।   
वर्ष का नीरसेश चंद्र :- नीरसेश चंद्र गृह होने के कारण सफेद रंग की वस्तुए व् धातुएं चांदी, मोती,प्लैटिनम,कपास,दूध और पनीर आदि की वस्तुए के मूल्यों में वृद्धि होगी।   
वर्ष का फलेश बृहस्पति :-  फलेश बृहस्पति होने के कारण फलों और फूलों के उत्पादन अधिक होगा और धन में वृद्धि होगी। समाज में पूजा-अर्चना,हवन,यज्ञ होंगे और लोगो का धार्मिक कार्य की तरफ रुझान होगा।