आश्विन मास की नवरात्री शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक व्रत रख कर माँ को प्रसन किया जाता हैं। शारदीय नवरात्रे 9 दिन तक चलेगे। 10 अक्टूबर 2018 दिन बुधवार कलश की स्थापना के बाद माँ के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा होगी। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रहमचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है।
नवरात्र पर्व की प्रतिपदा के दिन स्नानादि करके ईष्ट देव की पूजा करने के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद कलश में आम के पते व् पानी डाले। कलश पर पानी वाले नारियल को लाल कपडे से या लाल मोली से बांध कर रखे। उसमे एक बादाम ,दो सुपारी ,एक सिका जरूर डाले। इसके बाद जोत व् धुप बत्ती जला कर माँ सरस्वती,माँ लक्ष्मी,माँ दुर्गा और उनके सभी रूपो की पूजा करे तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। नवरात्रों के ख़तम होने पर घर में कलश के जल का छिड़काव करे और चना, हलवा, खीर आदि से भोग लगाकर कन्या पूजन करे।
प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर 2018 समय 09:16 से 10 अक्टूबर 2018 समय 07:25 तक
क्लश स्थापना का शुभ समय
प्रातः 06 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
महूर्त की अवधि - 1 घंटा 02मिन्ट