शनि धनु राशि में प्रवेश गोचर


आज 26-10-2017 शनि के धनु राशि में प्रवेश होने से गोचर के माध्यम से लग्नो के भाव जो सक्रिय हो जाएगें :-
1, मेष लग्न वालो का 3 और 11 भाव
2, वृष लग्न वालो का 2 और 10 भाव
3, मिथुन लग्न वालो का 1 और 9 भाव
4, कर्क लग्न वालो का 12 और 8 भाव
5, सिंह लग्न वालों का 11 और 7 भाव
6, कन्या लग्न वालों का 10 और 6 भाव
7, तुला लग्न वालों का 9 और 5 भाव
8, वृचिक लग्न वालों का 4 और 8 भाव
9, धनु लग्न वालों का 7 और 3 भाव
10, मकर लग्न वालों का 6 और 2 भाव
11, कुंभ लग्न वालों का 5 और 1 भाव
12, मीन लग्न वालों का 12 और 4 भाव

दीपावली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त



दीपावली प्रकाश का त्यौहार है। दीपावली का अर्थ होता है - दीपों की माला। हिंदू मान्यताओं में इस दिन भगवान् राम अपनी पत्नी सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास बिताकर अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए  अयोध्यावासियों ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी कारण इसे प्रकाश के त्यौहार के रूप में मनाते हैं।।
दीपावली पर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या 19 अक्तूबर 2017 दिन गुरुवार प्रदोष काल से लेकर अर्धरात्रि तक लक्ष्मी पूजा करने का विशेष महत्त्व होता है। दीपावली पर तन्त्रिक पूजा के लिए महानिषिता काल सबसे अच्छा माना जाता है।
पूजा के लिए संध्या समय बृष स्थिर लग्न में 19 :09 से 21 :03 के समय में पूजा करनी शुभ रहेगी। क्योंकि बृष राशि चंद्रमा की उच्च और मूलत्रिकोण राशि है  जिस का स्वामी शुक्र है और शुक्र का देवता लक्ष्मी जी है.जिन की पूजा करने से हमें धन,भाग्य,सुख समृद्धि मिलेगी
प्रदोष काल और महानिषिता काल का समय और चौघड़िया का शुभ मुहूर्त !
प्रदोष काल :-  17:43 से 20:17
महानिषिता काल:-  23:42  से 24:33 +
अमावस्या तिथि की शुरुआत:- 19 अक्टूबर 2017 : प्रातकाल 00:13  से ले कर 20 अक्टूबर 2017 : प्रातकाल 00:41 तक है
पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त :-  शुभ, चर, लाभ, अमृत 
सुबह :- शुभ :- 06:32 से 07:56 ,  चर, लाभ, अमृत :- 10:44 से 14:55 , शुभ :-  16:19 से 17:43
सांयकाल :- अमृत, चर :- 17:43 से 20:56 ,लाभ :- 24:08+ से 25:44+                    

धनतेरस पूजा मुहूर्त


हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व धनतेरस को सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव का त्योहार माना जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने के लिए वैद्य धन्वंतरि के रूप में अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे। जिस के कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है। धन्वंतरि चिकित्सा के देवता भी हैं इसलिए उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी की जाती है। धनतेरस के दिन  अच्छी-अच्छी वस्तुएं, चांदी के बर्तन, नए बर्तन,पीतल के बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर सायंकाल को दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है।
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और लगभग 2 घंटे और 24 मिनट तक रहता है।
धनतेरस तिथि : 17 अक्तूबर 2017, मंगलवार
धनतेरस पूजन मुर्हुत : 19:19  से 20:17 तक
प्रदोष काल :  17:45 से रात्रि 20:17 तक
वृष काल : 19:19 से रात्रि 21:14 तक

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 17 अक्तूबर 2017 : प्रातकाल 00:26 से ले कर 18 अक्तूबर 2017 प्रातकाल 00:08 तक है