हिन्दू पंचांग के अनुसार
कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व धनतेरस को सुख-समृद्धि,
धन, यश और वैभव का त्योहार माना जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने
के लिए वैद्य धन्वंतरि के रूप में अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे। जिस के
कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन धन के देवता
कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है। धन्वंतरि चिकित्सा के देवता
भी हैं इसलिए उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी की जाती है। धनतेरस के दिन अच्छी-अच्छी वस्तुएं, चांदी के बर्तन, नए बर्तन,पीतल
के बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर सायंकाल को दीपक जलाकर धन और
वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता
है।
लक्ष्मी पूजा प्रदोष
काल के दौरान किया जाना चाहिए जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और लगभग 2 घंटे और
24 मिनट तक रहता है।
धनतेरस तिथि : 17 अक्तूबर
2017, मंगलवार
धनतेरस पूजन मुर्हुत
: 19:19 से 20:17 तक
प्रदोष काल : 17:45 से रात्रि 20:17 तक
वृष काल : 19:19 से
रात्रि 21:14 तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ
17 अक्तूबर 2017 : प्रातकाल 00:26 से ले कर 18 अक्तूबर 2017 प्रातकाल 00:08 तक है।