शनि का गोचर धनु राशि में

शनी धीमी गती से चलने वाला गृह है। जो कि एक राशी में डाई साल तक स्थित रहता है। शनी को न्याय, परिश्रम, व्यपार, धन,कर्ज,आयु, दुख-पीड़ा, धैर्य,दंड,रोग,मृत्त्यु आदि का कारक माना जाता है। गोचर का शनि बृष्चिक राशि से धनु राशि में 26 जनवरी 2017 दिन गुरुवार को 19:30 पर केतु के नक्षत्र में प्रवेश करेगा। गोचर शनि धनु राशि में 6 अप्रैल 2017 को बक्री होगा और 21 जून 2017 को शनी धनु राशी से बृष्चिक राशी में प्रवेश करेगा।  25 अगस्त 2017  को शनि मार्गी हो कर बृष्चिक राशि से धनु राशी में  26 अक्टूबर 2017 को पुनः प्रवेश करेगा। जो कि अग्नि राशी है। जिसका स्वामी बृहस्पति गृह है। इस अवधी के दौरान शनी 3 नक्षत्रो से गुजरेगा मूल,पूर्व आषाढ और उत्तर आषाढ। पूरे वर्ष शनी बहुत अस्थिरता देगा। गोचर का शनी हमारे जीवन में अच्छा या बुरा कैसा परिणाम देगा जानने के लिये व्यक्तिगत जन्म कुंडली में शनी की स्थिति से, किस राशि में और किस नक्षत्र में है और अन्य ग्रहों की स्थिति, द्रिष्टि पर और आपकी वर्तमान दशा- अंतर दशा पर निर्भर करता है। राशि के अनुसार प्रभाव इस प्रकार होगा।
मेष :- मेष राशि में शनि दशम और एकादश  भाव का स्वामी है जो कि अष्ठम भाव से नवम भाव में प्रवेश करेगा। भाग्य उनती और लाभ प्राप्ति में रुकावटो के बावजूद शनि का पाया चाँदी होने के कारण आय के साधन बनते रहेगे  है। समस्याओ का सामना भी करना पड़ सकता है। भाइयो और मित्रो के कारण मानसिक तनाव भी हो सकता है।
वृष :- वृष राशि में शनि नवम और दशम भाव का स्वामी है जो कि सप्तम भाव से अष्ठम भाव में प्रवेश करेगा। राशि के अनुसार अष्ठम शनि होने से अशुभ प्रभाव रहेगा। अष्ठम शनि को शनि की ढैया भी कहते है और शनि का पाया लोहा होने से मानसिक परेशानी रहेगी। स्वास्थ्य और आर्थिक समस्यायो की सम्भावना रहेगी।
मिथुन:- मिथुन राशि में शनि अष्ठम और नवम भाव का स्वामी है जो की षष्टम भाव से सप्तम भाव में आने के कारण वैवाहिक जीवन में मनमुटाव हो सकता है। सांझेदारी के कार्य में परेशानिया और पार्टनर के साथ मनमुटाव हो सकता है। शनि का पाया तांबा होने के कारण व्यवसाय में संगर्ष के बाद सफलता भी मिलेगी।
कर्क:- कर्क राशि में शनि सप्तम और अष्ठम भाव का स्वामी है जो की पंचम भाव से षष्टम भाव में प्रवेश करेगा राशि के अनुसार शनि का पाया स्वर्ण होगा और गोचर शुभ फल देने वाला होगा। नोकरी और कारोबार में सफलता मिलने की सम्भावनाये बढ़ेगी।
सिंह:- सिंह राशि में शनि षष्टम और सप्तम भाव का स्वामी है। जो की चतुर्थ भाव से पंचम भाव में प्रवेश करेगा। राशि पर गोचर का राहु भी होने के अनुसार पंचम शनि मानसिक परेशानी दे सकता है। औलाद से विवाद हो सकता है। अचानक से सेहत ख़राब हो  सकती है। शनि का पाया चाँदी होने के कारण धन लाभ के अवसर प्रापत होंगे।
कन्या:- कन्या राशि में शनि पंचम और षष्टम भाव का स्वामी है। जो की तृतीय भाव से चतुर्थ भाव में प्रवेश करेगा। शनि चतुर्थ होने से शनि की ढैया भी कहते है। शनि का पाया लोहा होने से मानसिक तनाव बड़ सकता है और नकारत्मक विचार मन में आ सकते है। स्वस्थ संबंधी समस्याए उत्पन हो सकती है। गोचर का बृहस्पति राशि पर स्थित होने से धार्मिक प्रविर्ति बनी रहेगी।
तुला:- तुला राशि में शनि चतुर्थ और पंचम भाव का स्वामी है। जो की द्वितीय भाव से तृतीय भाव में प्रवेश करेगा। शनि का पाया ताम्र होगा। शनि तृतीय भाव में आने से शुभ फल देगा। तुला राशि शनि की साढेसाती से मुक्त हो जाएगी। सभी सुख सुविधायों में बृद्धि होगी। आत्मविश्वास में बृद्धि होगी। मानसिक सन्तुष्टि और अच्छा स्वस्थ रहेगा।
बृश्चिक:- बृश्चिक राशि में शनि तृतीय और चतुर्थ भाव का स्वामी है। जो की प्रथम भाव से द्वितीय भाव में प्रवेश करेगा। शनि का पाया चाँदी होने से और शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण होने से मानसिक अशांति बन सकती है। घर के माहौल में और वैवाहिक जीवन में समस्याए उत्पन हो सकती है।
धनु:- धनु राशि में शनि द्वितीय और तृतीय भाव का स्वामी है। जो की द्वादश भाव से प्रथम में प्रवेश करेगा और साढेसाती का दूसरा चरण होगा। शनि का पाया स्वर्ण होने से पारिवारिक जीवन को प्रभावित करेगा। मानसिक और स्वस्थ सम्बन्धी परेशानियां आ सकती है। संगर्षपूर्ण परस्थितियो के साथ आय के साधन बनते रहेगे। 
मकर:- मकर राशि में शनि लगन और द्वितीय भाव का स्वामी है। जो की एकादश भाव से द्वादश भाव में प्रवेश करेगा और राशि साढेसाती के प्रथम चरण के प्रभाव में आयेगी। शनि का पाया लोहा होने के कारण बनते कार्यो में रूकावट और बिलम्भ होगा। खर्चों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। आत्मविश्वास में कमी आएगी। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
कुम्भ:-  कुंभ राशि में शनि लग्न और द्वादेश भाव का स्वामी है। जो कि दशम भाव से एकादश भाव में प्रवेश करेगा। केतु का कुम्भ राशि में गोचर और पाया स्वर्ण होने से परिश्रम करने के बाद धन लाभ और कार्यों में सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य संबंधी भी परेशानी हो सकती है।

मीन:- मीन राशि में शनि एकादश और द्वादश भाव का स्वामी है। जो की नवम भाव से दशम भाव में प्रवेश करेगा। पाया ताम्र होने के कारण बिघ्नों के बाद भी कामजाबी मिलेगी। नोकरी या व्यवसाय में उतार चढ़ाव हो सकता है। बृहस्पति की द्रिष्टि होने से धार्मिक प्रविर्ति बनी रहेगी।

धनतेरस पूजन मुर्हुत


धनतेरस दीपावली से दो दिन पहले बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व धनतेरस को सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव का त्योहार माना जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने के लिए वैद्य धन्वंतरि के रूप में अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे जिस के कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है। धन्वंतरि चिकित्सा के देवता भी हैं इसलिए उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी की जाती है। धनतेरस के दिन  अच्छी-अच्छी वस्तुएं, चांदी के बर्तन, नए बर्तन,पीतल के बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर सायंकाल को दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है।

धनतेरस तिथि : 28 अक्तूबर 2016, शुक्रवार
धनतेरस पूजन मुर्हुत : सायं 17:35  से 18:20 तक (स्थिर लगन के बिना)
प्रदोष काल : सायं 17:35 से रात्रि 20:11 तक
वृषभ काल : सायं 18:35 से रात्रि 20:30 तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ : सायं 16:15 से, 27 अक्तूबर 2016

त्रयोदशी तिथि समाप्त : सायं 18:20 तक, 28 अक्तूबर 2016

Deepawali Lakshmi Puja Muhurat



Deepawali is one of the most famous festivals of India. Deepawali means "Festival of Lights". The festival is celebrated on the 13th lunar day of Krishna Paksha.  This festival is celebrated continuously for five days. It starts with the 1st day of Dhanteras (Bhagwan Dhanwantari), followed by the 2nd day of Narak charturdashi (Shotti Deepavali), the 3rd day of Deepawali (Lakshmi puja), the 4th day of Kartika Shuddha Padyami (Gowardhan puja) and ends with the 5th day of Yama Diwitiya (Bhai Dooj)
People of all religion enjoy this festival. People clean their homes and decorate with making rangoli, lighting lamps, candles and buy new cloths, pots or jewelry for their family. They exchange sweets, gifts between friends and relatives.  In the evening they go to Temples, Gurudwaras for puja- archana  and after puja they burn fire-crackers.
In Vedic astrology there are twelve Lagna signs in twenty-four hours and they are categorized as Movable, Fixed and Dual signs. Fixed lagna are considered shubh muhurat and are auspicious for Lakshmi Puja & Ganesh Puja. If  Puja is done during this fixed lagna then Lakshmi ji will stay in the home and give her blessings.
 The general public should perform Puja in Evening Time - 18:28 to 20:23 in Taurus lagna. The Lord of Taurus sign is Venus. The deity of Venus is Lakshmi ji and their vahan is owl. Lakshmi ji will stay in the home of the worshipper and give her blessings, wealth, fortune, prosperity, money, luxury because Taurus sign is exalted sign and mool trikon sign of Moon.  

Given below is the time of all fixed Lagna, Pradosh kaal for Deepawali Puja
Muhurat- 30 Oct 2016
            Lagna                                               Time
Scorpio    (8)                         Morning- 07:55 to 10:13
Aquarius  (11)                       Afternoon- 14:00 to 15:28
Taurus      (2)                        Evening- 18:28 to 20:23
Leo          (5)                         Mid Night- 24:58+ to 27:16+
Lakshmi Puja Muhurta = 18:28 to 20:09
Duration = 1 Hour 42 Mins
Pradosh Kaal = 17:33 to 20:09
Mahanishita Kaal = 23:38 to 24:31+
Amavasya Tithi Begins =  20:40 on 29 October 2016
Amavasya Tithi Ends =   23:08 on 30 October 2016
There are four Auspicious Chaoghadiya Puja Muhurat-Amrit, Shubh, Labh and Char
 Morning Muhurta (Char, Labh, Amrit) = 07:58 - 12:05
Afternoon Muhurta (Shubh) = 13:27 - 14:49
Evening Muhurta (Shubh, Amrit, Char) = 17:33 - 22:27



नवरात्री का त्योहार


हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार माँ भगवती की शक्ति से धरती पर सभी प्रकार के कार्य सम्पन होते है। नवरात्री का त्योहार वर्ष में दो बार चैत्र मास में और आश्विन मास में आत्ता है। आश्विन मास के इन नवरात्रों को शारदीय नवरात्र  भी कहा जाता है। अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक व्रत रख कर माँ को प्रसन किया जाता हैं। आमतौर पर शारदीय नवरात्रे 9 दिन के होते है लेकिन इस बार नवरात्रे 10 दिन तक चलेगे। 1अक्टूबर 2016 दिन शनिवार कलश की स्थापना के बाद माँ के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा होगी। आश्विन मास की नवरात्री के दौरान ही भगवान राम जी की पूजा और रामलीला भी अहम होती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रहमचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है।
नवरात्र पर्व की प्रतिपदा के दिन स्नानादि करके ईष्ट देव की पूजा करने के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद कलश में आम के पते व् पानी डाले। कलश पर पानी वाले नारियल को लाल कपडे से या लाल मोली से बांध कर रखे। उसमे एक बादाम ,दो सुपारी ,एक सिका जरूर डाले। इसके बाद जोत व् धुप बत्ती  जला कर माँ सरस्वती,माँ लक्ष्मी,माँ दुर्गा और उनके सभी रूपो की पूजा करे तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। नवरात्रों के ख़तम होने पर घर में कलश के जल का छिड़काव करे और चना, हलवा, खीर आदि से भोग लगाकर कन्या पूजन करे।      

  

पितृ पक्ष श्राद्ध

हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाये तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और उस की आत्मा इस संसार में भटकती रहती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को कुंडली के अन्य दोषों में से एक माना जाता है। जन्म कुंडली में पितृ दोष होने पर ऐसे लोगों को पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अवश्य करना चाहिये। पितरों की अशांति के कारण मनुष्य को जीवन में धन हानि, संतान और स्वस्थ सम्बन्धी अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पितरो की शांति के लिये हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष श्राद्ध के लिये तय है। ज्योतिषीय द्रिष्टि से इस समय सूर्य कन्या राशि में गोचर करता है।
श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों के नाम जो व्यक्ति  तिल, चावल, जौ, कुशा और गंगाजल के साथ संकल्प पूर्वक पिण्डदान और तर्पण करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन, फल, दक्षिणा और वस्त्रआदि देता है। उसके पितृ संतुष्ट होते है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि, स्वस्थ जीवन, दीर्घयु, धन-यश-सम्पदा आदि का आशीर्वाद देते है।
श्राद्ध दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि आने पर श्रद्धापूर्वक किया जाता है। अगर किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य तिथियो में भी ऐसे ही श्राद्ध किया जाता है। जिन पितरों के मरने की तिथि पता ना हो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है। जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।

वर्ष 2016 में पितृ पक्ष श्राद्ध की तिथियां:-

तारीख                  दिन                       श्राद्ध तिथियाँ

16 सितंबर          शुक्रवार                     पूर्णिमा श्राद्ध
17 सितंबर          शनिवार                    प्रतिपदा
18 सितंबर          रविवार                    द्वितीया तिथि
19 सितंबर          सोमवार                   तृतीया - चतुर्थी 
20 सितंबर          मंगलवार                  पंचमी तिथि
21 सितंबर          बुधवार                     षष्ठी तिथि
22 सितंबर          गुरुवार                     सप्तमी तिथि क्षय 
23 सितंबर          शुक्रवार                    अष्टमी तिथि
24 सितंबर          शनिवार                   नवमी तिथि
25 सितंबर          रविवार                    दशमी तिथि
26 सितंबर          सोमवार                   एकादशी तिथि
27 सितंबर          मंगलवार                  द्वादशी तिथि
28 सितंबर          बुधवार                    त्रयोदशी तिथि
29 सितंबर          गुरुवार                     चतुर्दशी
30 सितंबर          शुक्रवार                अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध

कंकण सूर्य ग्रहण


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य आता है और चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक ही रेखा पर आ जाते है तब सूर्य ग्रहण होता है। भाद्रपद अमावस्या दिन गुरुवार 1 सितंबर 2016 को कंकण सूर्य ग्रहण होगा जो कि भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण केवल दक्षिणी एशिया के देशो में,अफ्रीका के देशो में,पूर्वी ऑस्ट्रेलिया,हिन्द -महासागर और अंटार्टिका में दिखाई देगा।
भारतीय समय के अनुसार ग्रहण का प्रारम्भ और समाप्तिकाल इस प्रकार होगा:-
ग्रहण प्रारम्भ 11:41, कंकण प्रारम्भ 12:46, परमग्रास 14:30 ,कंकण समापत 16:24 ,ग्रहण समापत 17:29. भारत में ग्रहण दिखाई न देने के कारण स्नान,सूतक, दान का विचार नहीं होगा लेकिन भाद्रपद अमावस्या के सम्बन्ध में स्नान,दान और पितृ -अर्पण किया जा सकता है।
दूसरा कंकण सूर्य ग्रहण 26 फरवरी 2017 फाल्गुन अमावस्या दिन रविवार को होगा। ये भी भारत में दिखाई नहीं देगा केवल दक्षिणी पश्चिमी अफ्रीका,प्रशांत अटलांटिक,अंटार्टिका, हिंदमहासागर और दक्षिणी अमरीका के दक्षिणी पश्चिमी देशो में दिखाई देगा।
भारतीय समय के अनुसार ग्रहण का प्रारम्भ और समाप्तिकाल इस प्रकार होगा:-  ग्रहण प्रारम्भ 17:41, कंकण प्रारम्भ 18:46, परमग्रास 20:23, कंकण समापत 22:01, ग्रहण समापत 23:06. भारत में ग्रहण दिखाई न देने के कारण स्नान,सूतक, दान का विचार नहीं होगा लेकिन फाल्गुन अमावस्या के सम्बन्ध में स्नान,दान और पितृ -अर्पण किया जा सकता है   

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

                        


श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार है। जन्माष्टमी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की आठवी तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि रोहिणी नक्षत्र में देवकी व श्री वासुदेव के पुत्र रूप में श्री कृष्ण जी ने मथुरा में जन्म लिया था। इसे भगवान् श्री कृष्ण के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। जन्माष्टमी महाराष्ट्र मे दही-हांडी के लिए विषेश प्रसिद्ध है। सम्पूर्ण भारत में जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों में समारोह किये जाते हैं। मथुरा और वृंदावन की जन्माष्टमी जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था वहां की जन्माष्टमी दुनिया भर में प्रसिद्ध  है। जन्माष्टमी के दिन लोग उपवास रखते हैं तथा आधी रात में भगवान् श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को मनाकर उपवास को फलाहार के द्वारा खोला जाता है। यह उपवास मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है। सभी मंदिरो में कीर्तन एवं भजनो का आयोजन किया जाता है।

इस वर्ष कृष्ण जन्माष्ठमी कई जगह 14 अगस्त को और कई जगह 15 अगस्त को मनाई जायेगी। 14 अगस्त को सप्तमी समापत हो कर अष्ठमी लग जायेगी। जो की 15 अगस्त 2017, 17:39 बजे तक रहेगी। 

Transit Jupiter in Virgo Sign


The most beneficial planet in Vedic astrology, Jupiter, mostly gives auspicious results even though it may be malefic in the horoscope. Jupiter represents religion-spirituality, Prosperity, wealth, progeny, success, wisdom and knowledge. Transiting Jupiter will enter Virgo from 11th August 2016. Virgo sign is ruled by planet Mercury, and has a dual nature and is an earthy sign.
Transit Jupiter will give good or bad results in our life depending on individual birth chart position of Jupiter and other planets’ position.The result of Jupiter depends on which house Jupiter is in and also on starsign and nakshatra, conjunction with other planets, aspect of other planets on Jupiter.
According to moon sign Taurus, Leo, Scorpio, Capricorn and Pisces, transit Jupiter will give beneficial results.
According to moon sign Gemini, Virgo and Sagittarius, transit Jupiter will give medium results.
According to moon sign Aries, Cancer, Libra and Aquarius, transit Jupiter will give malefic results.


गुरू पूर्णिमा


भारत में गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को 'गुरु पूर्णिमा' अथवा 'व्यास पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गुरु व्यास ,गुरु सुखदेव व् अन्य गुरुओ की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। यह पूजा ज्ञान, ध्यान और गुरु भक्ति की तरफ ले जाने वाली होती है। हिंदु परंपरा में गुरू को ईश्वर जैसा स्थान प्राप्त है। वास्तव में हम जिस भी व्यक्ति से कुछ भी सीखते हैंI वह हमारा गुरु हो जाता है। हमें उसका सम्मान अवश्य करना चाहिये। गुरु अपने शिष्य का सही मार्ग दर्शक होता है। वह व्यक्ति को जीवन के हर संकट से बाहर निकलने का सही मार्ग बताने वाला होता है। गुरु व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने का कार्य करता है। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था। आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। पारंपरिक रूप से शिक्षा देने वाले विद्यालयों में, संगीत और कला के विद्यार्थियों में आज भी यह दिन गुरू को सम्मानित करने का होता है। मंदिरों में पूजा होती है, पवित्र नदियों में स्नान होते हैं, जगह जगह भंडारे होते हैं और मेले लगते हैं।

श्रावण मास और भगवान शिव की पूजा


श्रावण मास हिंदू कैलेंडर का पांचवा महीना होता है। और यह मास जुलाई-अगस्त में आता है। श्रावण का पूरा मास ही भगवान शिव को अर्पित होता है। इस मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना सामान्य दिनों के दौरान की गई पूजा की तुलना में अधिक शक्तिशाली मानी जाती है। भारत में भगवान शिव के सभी मंदिरों और ज्योतिलिंगो में इन दिनों शिव भकत शर्द्धा से गंगाजल अभिषेक और पूजा-अर्चना करते है। इस लिये श्रावण मास में प्रतिदिन अथवा प्रति सोमवार के व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित कामनाओ की पूर्ति होती है। कई लोग श्रावण संक्रांति से भगवान शिव जी की पूजा करनी शुरू करते है और भाद्रपद संक्रांति तक पूजा करते है। श्रावण के मास में सोमवार के व्रत अत्यधिक शुभ माने जाते है। भगवान शिव ओम के लिये समर्पित है। भक्तों को श्रावण मास की पूजा और सोमवार को व्रत रखकर पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। भगवान शिव की पूजा- अर्चना और व्रत करने से विशेष फल मिलता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पूजा में भगवान शिव को पंचामृत  दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से स्नान कराकर सफेद फूल, बिल्वपत्र और भांग-धतूरा भी शिव पूजा में चढ़ाये जाते है। 

Human Aura





The rays of light and energy of the human body is surrounded. Which is formed  through the 7 Chakras. Which is called  the Aura. The aura of our physical, mental, emotional and spiritual energy represents. According to the mental  and emotional aura color, shape and texture changes.
The aura is directly connected to the level of health of the person. A person is considered to be Healthy in terms of Physical, mental, spiritual energies. A healthy person's aura is larger and brighter and this is a reversal of an unhealthy person's aura. The aura is own soul nature, it reflects our innermost desires and emotions etc. A healthy person's electromagnetic energy field around it is 5-6 feet and to be short in cases of unhealthy person.  

शनि जयंती


 शनि जयंती 4 जून 2016 शनिवार को मनाई जायेगी।शनिवार के दिन शनि जयंती से इस पर्व का महत्व एवं फल अनंत गुणा हो जाता है। हिन्दू धर्म का विशेष पर्व शनि जयंती ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। न्याय के देवता सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म शनि जयंती के दिन ही हुआ था। ज्योतिष में नौ मुख्य ग्रहों में से एक हैं। शनि अन्य ग्रहों की तुलना मे धीमे चलते हैं इसलिए इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है। शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा जाता है। यह जीवों को सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं। इस दिन प्रमुख शनि मंदिरों में भक्त शनि देव से संबंधित पूजा पाठ करते हैं तथा शनि पीड़ा से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिये।
शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है -- "ॐ शं शनैश्चराय नम:।" इस मंत्र की एक माला का जाप अवश्य करें।

Rohini Vas Chakra


The Rohini Vas Chakra is based upon the gravity of the rainy season and Moon is the indicator of rainfall.
This particular chart is made of 28 Nakshatra. 27 Nakshatra +1 Abhijit Nakshatra makes up a total of 28 Nakshatras. When the Sun enters into Aries sign, we need to note which Nakshatra the Moon transits into. Those Nakshatras fall in Sea.
28 houses are divided into Sea, Seashore, Junction and Mountain.
Sea 2*4= 8, Seashore 2*4= 8, Junction 2*4= 8, Mountain 1*4= 4. Houses =28.
This year the time of Sun entering the Aries sign 13 April 2016 at 19:47.Transit Moon is in Punarvasu Nakshatra. Starting house owned by Sea. Then count these  Nakshatra till Rohini Nakshatra. The Rohini Vas fall on 26th house Mountain.

This is indicate of  rain in hilly areas of the country and less rain in plains areas. The drinking water, ground water and other natural sources of water will be reduced. The lack of rain reduced greenery, fruits, rice, grain, fodder, cereals production will be lower than inflation. This year, the public will be happy and people will progress in every field. 

YANTRAS


Sun Yantra


     6

    1

   8
   
     7

    5

   3

     2

    9

   4

       Beej Mantra:- Om hram hreem hroum sah suryaya namah- 7000 times in 40 days.
                           
                 MoonYantra
                                                                 
   
     7

    2

    9
   
    8

   6
  
    4
  
    3

  10

    5

   
                                                                                                                             


 Beej Mantra:- Om shram shreem shraum sah chandraya namah, 11000 times in 40 days.
   
Mars Yantra                                                                 
         

   
     8

    3

    10
   
    9

   7
  
    5
  
    4

  11

    6

         Beej Mantra :- Om kram kreem kroum sah bhomaya namah-10000 times in 40 days.


                                                                                  MercuryYantra                                                                
   
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Beej Mantra:- Om bram breem broum sah budhaya namah-9000 times in 40 days.

                                                                                   JupiterYantra    
                                                             
   
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Beej Mantra:- Om gram greem groum sah gurave namah-19000 times in 40 days.
                                                                                      
                        VenusYantra     
                                                            
   
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Beej Mantra:- Om dram dreem droum sah shukraya namah-16000 times in 40 days.

                                                                                                               
                           SaturnYantra 
                                                                
   
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Beej Mantra:- Om pram preem proum sah shanya namah-23000 times in 40 days.
                                                                                        
                     RahuYantra 
                                                                
   
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Beej Mantra:- Om bhram bhreem bhroum sah rahave namah-18000 times in 40 days.
                                                                                          
                     KetuYantra
                                                                
   
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Beej Mantra:- Om shram shreem shroum sah ketave namah-17000 times in 40 days.