Vedh -Vipreet Vedh and Vaam Vedh


The transit of Saturn is of great significance in the Horoscope because Saturn has the longest transit period in a sign out of all other planets. Due to this, many individuals have Sadesati and Dhaiya in their Horoscope. This leads to a lot of fear about what is going to happen during Saturn’s transit. Saturn doesn’t always have malefic effects.  The Dasha and antardasha in an individual’s horoscope holds high importance. Saturn is Lord of Karma, hence all the deeds that we do, whether good or bad give us the appropriate rewards during Saturn’s transit. Saturn is now transit in Sagittarius. During transit Saturn is beneficial in 3rd, 6th and 11th house and malefic in all other houses. To find out when transit Saturn gives Beneficial or Malefic results, we observe the time & duration of Vedh -Vipreet Vedh by another planet because the complete duration of transit Saturn is never fully beneficial or malefic for anyone. 
Vedh
Vedh means an “obstruction”. When transit planet is placed in auspicious house and another planet is transiting a Vedh on their location. So, due to this, other Planet’s auspicious results decrease. Sun and Saturn, Mercury and the Moon do not Vedh each other
Auspicious house 3rd, 6th and 11th for Saturn in transit and beneficial for Cancer, Libra and Aquarius Sign.
Example :- Saturn is transiting 3rd (auspicious house) from Moon, then another planet transits the12th house, this is Vedh. The auspicious effect of Saturn decreases.

Moon Sign
Saturn in House
Vedh House
Cancer
6th
9th
Libra
3rd
12th
Aquarius
11th
5th

                     

When other Planets in Pisces, Virgo and Gemini sign then Vedh for  6th, 3rd and 11th houses Dates and Time below:-

Mars :-  When Saturn changed the sign 26/10/17, Mars was in Virgo sign. 
      
Moon
Signs
Planets
Signs
Start Date
Time
Retro
Forward
End Date
Libra
Mars
Virgo
13/10/17
16:01


29/11/17
Cancer
Venus
Pisces
02/03/18
11:41


26/03/18
Cancer
Mercury
Pisces
03/03/18
06:54
23/03/18
15/04/18
09/05/18
Aquarius
Venus
Gemini
14/05/18
20:45


08/06/18
Aquarius
Mercury
Gemini
10/06/18
07:32


25/06/18
Libra
Venus
Virgo
01/08/18
12:26


01/09/18
Libra
Mercury
Virgo
18/09/18
28:04


06/10/18
Cancer
Mars
Pisces
23/12/18
12:56


05/02/19
Aquarius
Rahu
Gemini
07/03/19
09:20


18 Month
 

Vipreet Vedh
Vipreet means reverse and Vipreet Vedh is the opposite of Vedh. When transit Planet placed in inauspicious house and another planet is transiting a Vedh on their location. So, due to this, other Planet’s inauspicious results decrease.
Example :- Saturn is transiting 12th (inauspicious house) from Moon, then another planet transits the 11th  house, this is Vipreet Vedh. Saturn's inauspicious effect will be reduced.
Inauspicious house  4th, 5th, 7th, 8th, 9th and 12th for Saturn in transit. These houses are harmful for Aries, Taurus, Gemini, Leo, Virgo, Capricorn Sign.

Moon Signs
Saturn in House
Vedh House
Aries
9th
8th
Taurus
8th
7th
Gemini
7th
6th
Leo
5th
4th
Virgo
4th
3rd
Capricorn
12th
11th









शनि धनु राशि में प्रवेश गोचर


आज 26-10-2017 शनि के धनु राशि में प्रवेश होने से गोचर के माध्यम से लग्नो के भाव जो सक्रिय हो जाएगें :-
1, मेष लग्न वालो का 3 और 11 भाव
2, वृष लग्न वालो का 2 और 10 भाव
3, मिथुन लग्न वालो का 1 और 9 भाव
4, कर्क लग्न वालो का 12 और 8 भाव
5, सिंह लग्न वालों का 11 और 7 भाव
6, कन्या लग्न वालों का 10 और 6 भाव
7, तुला लग्न वालों का 9 और 5 भाव
8, वृचिक लग्न वालों का 4 और 8 भाव
9, धनु लग्न वालों का 7 और 3 भाव
10, मकर लग्न वालों का 6 और 2 भाव
11, कुंभ लग्न वालों का 5 और 1 भाव
12, मीन लग्न वालों का 12 और 4 भाव

दीपावली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त



दीपावली प्रकाश का त्यौहार है। दीपावली का अर्थ होता है - दीपों की माला। हिंदू मान्यताओं में इस दिन भगवान् राम अपनी पत्नी सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास बिताकर अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए  अयोध्यावासियों ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी कारण इसे प्रकाश के त्यौहार के रूप में मनाते हैं।।
दीपावली पर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या 19 अक्तूबर 2017 दिन गुरुवार प्रदोष काल से लेकर अर्धरात्रि तक लक्ष्मी पूजा करने का विशेष महत्त्व होता है। दीपावली पर तन्त्रिक पूजा के लिए महानिषिता काल सबसे अच्छा माना जाता है।
पूजा के लिए संध्या समय बृष स्थिर लग्न में 19 :09 से 21 :03 के समय में पूजा करनी शुभ रहेगी। क्योंकि बृष राशि चंद्रमा की उच्च और मूलत्रिकोण राशि है  जिस का स्वामी शुक्र है और शुक्र का देवता लक्ष्मी जी है.जिन की पूजा करने से हमें धन,भाग्य,सुख समृद्धि मिलेगी
प्रदोष काल और महानिषिता काल का समय और चौघड़िया का शुभ मुहूर्त !
प्रदोष काल :-  17:43 से 20:17
महानिषिता काल:-  23:42  से 24:33 +
अमावस्या तिथि की शुरुआत:- 19 अक्टूबर 2017 : प्रातकाल 00:13  से ले कर 20 अक्टूबर 2017 : प्रातकाल 00:41 तक है
पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त :-  शुभ, चर, लाभ, अमृत 
सुबह :- शुभ :- 06:32 से 07:56 ,  चर, लाभ, अमृत :- 10:44 से 14:55 , शुभ :-  16:19 से 17:43
सांयकाल :- अमृत, चर :- 17:43 से 20:56 ,लाभ :- 24:08+ से 25:44+                    

धनतेरस पूजा मुहूर्त


हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व धनतेरस को सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव का त्योहार माना जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने के लिए वैद्य धन्वंतरि के रूप में अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे। जिस के कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है। धन्वंतरि चिकित्सा के देवता भी हैं इसलिए उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी की जाती है। धनतेरस के दिन  अच्छी-अच्छी वस्तुएं, चांदी के बर्तन, नए बर्तन,पीतल के बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर सायंकाल को दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है।
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और लगभग 2 घंटे और 24 मिनट तक रहता है।
धनतेरस तिथि : 17 अक्तूबर 2017, मंगलवार
धनतेरस पूजन मुर्हुत : 19:19  से 20:17 तक
प्रदोष काल :  17:45 से रात्रि 20:17 तक
वृष काल : 19:19 से रात्रि 21:14 तक

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 17 अक्तूबर 2017 : प्रातकाल 00:26 से ले कर 18 अक्तूबर 2017 प्रातकाल 00:08 तक है 

Shiv Puja

                                  

सावण में शिव का अभिषेक करके मनचाही सफलता प्राप्त करे.......
1. शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत होता है। आचरण स्नेहमय होता है।
2. शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।
3. दूध अर्पित करने से उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।
4. दही चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर होता है।
5. शिवलिंग पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है।
6. ईत्र से स्नान करवाने से विचार पवित्र होते हैं।
7. शिवजी को चंदन चढ़ाने से हमारा व्यक्तित्व आकर्षक होता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
8. केशर अर्पित करने से हमें सौम्यता प्राप्त होती है।
9. भांग चढ़ाने से हमारे विकार और बुराइयां दूर होती हैं।
10. शक्कर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।

उत्तरायण और दक्षिणायन


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में द्वादश राशियो में गोचर करते हुए दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। जिसे उत्तरायण और दक्षिणायन कहा जाता है। जिन की अवधि 6 -6  माह की होती है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सायन मकर संक्रांति 21 दिसम्बर उत्तरायण की शुरुआत होगी। सूर्य मकर राशि से कुम्भ,मीन,मेष,बृष, मिथुन राशि तक भ्रमण करता है। तब इस समय को उत्तरायण कहा जाता है। सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश सायन कर्क संक्रांति 21 जून दक्षिणायन की शुरुआत होगी। सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि में भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहा जाता है। साल भर की छ: ऋतुओं में से तीन ऋतुएं शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म ऋतुएं उत्तरायण की और तीन ऋतुएं वर्षा, शरद और हेमंत दक्षिणायन की होती हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण का समय देवताओ का दिन और दक्षिणायन का समय रात माना जाता है। उत्तरायण के समय दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण को सकारत्मकता का प्रतीक और दक्षिणायन को नकारत्मकता का प्रतीक माना गया है। इसलिए उत्तरायण में नए कार्य, गृह प्रवेश, विवाह, यज्ञ, जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। दक्षिणायन के समय रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं। दक्षिणायन में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। 

शनि जयंती


हिन्दू धर्म का विशेष पर्व शनि जयंती इस वर्ष 25 मई 2017 को मनाया जायेगा है। धर्मशास्त्रों के अनुसार शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं तथा इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को हुआ था। इसलिए इस दिन को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि नौ मुख्य ग्रहों में से एक हैं। शनि अन्य ग्रहों की तुलना मे धीमे चलते हैं। शनि ग्रह वायु तत्व और पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। शनि देव अपनी महादशा अंतर्दशा, साढ़ेसाती और ढहिया में उन्हीं को नुकसान पहुंचाते हैं जिनके कर्म बुरे होते हैं। जिन जातकों के कर्म अच्छे होते हैं शनि भगवान उनके साथ अच्छा करते हैं।

 शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी पूजा-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव शुभ फल प्रदान करते हैं। शनि जयंती के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ करके तिल, उड़द, मूंगफली का तेल, काली मिर्च, आचार, लौंग, काले नमक आदि का प्रयोग करना चाहिए। शनि देव को प्रसन्न करने के इन मंत्रो का उच्चारण करे ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः, ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुओं में काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल, आदि वस्तुओं को दान करने से शनि देव सभी कष्टों को दूर कर देते हैं।

कोट चक्र

वैदिक ज्योतिष में, कुछ भी व्यर्थ और बेमतलब नहीं है,क्योंकि यह एक पारंपरिक ज्ञान है। कोट चक्र गोचर की भविष्यवाणी तकनीकों में से एक है। कोट चक्र को दुर्गा चक्र के नाम से भी कहा जाता है। लेकिन छात्र और विशेषज्ञ समान रूप से कोटा चक्र का विश्लेषण करने से बचते हैं। क्योंकि इसकी जटिल संरचना और आंशिक रूप से समझ की कमी के कारण।
प्राचीन काल में कोट चक्र का प्रयोग एक राजा युद्ध में विजय प्राप्त करेगा या नहीं? या युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए राजा को किस समय हमला करना चाहिए? जैसे प्रशनो का उतर जानने के लिए गोचर के ग्रहो का अध्ययन कोट चक्र के दुयारा किया जाता था। वास्तविक में इसका महत्व बहुत अधिक है।  
कोट चक्र अभिजीत नक्षत्र को मिला कर 28 नक्षत्रो से बना है। कोट चक्र एक के अंदर एक तीन वर्ग बनाने के बाद बाहरी भाग के उत्तर पूरब (ईशान कोण) पर जातक का जन्म नक्षत्र कृतिका लिखे। यह कोट चक्र या दुर्गा चक्र का आरम्भिक बिंदु कहलाता है। जन्म नक्षत्र लिखने के बाद अन्य नक्षत्रो को इस प्रकार लिखे कि तीन नक्षत्र उप मार्ग (प्रवेश मार्ग) पर और चार नक्षत्र मुख्य मार्ग (निकास मार्ग) पर आये। उतर पूर्व दिशा उप मार्ग (प्रवेश मार्ग) से आरम्भ करते हुए कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा तीन नक्षत्रो को अंदर के भागो की तरफ लिखे। और उसके बाद आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य और अश्लेशा चार नक्षत्रो को पूर्व दिशा की तरफ मुख्य मार्ग (निकास मार्ग) पर कोट के बाहरी भाग की तरफ लिखे। इसी प्रकार से आगे के बाकी नक्षत्र अन्य दिशाओं में 28वे नक्षत्र तक लिखे। अभिजीत नक्षत्र का 28 नक्षत्रो में प्रयोग हुआ। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र धनु राशि के 26 डिग्री 40' से मकर राशि में 06 डिग्री 40' तक है। उसके बाद अभिजीत नक्षत्र 06 डिग्री 40' से 10 डिग्री 53' 20" तक है। उसके बाद श्रवण नक्षत्र मकर राशि के 10 डिग्री 53' 20" से मकर राशि में 23 डिग्री 20' तक होता है।

किसी भी व्यक्ति के जीवन में गोचर के ग्रहो की स्थिति को समझने और शुभ-अशुभ समय को जानने के लिए कोट चक्र का प्रयोग कर सकते है। जैसे :- शारीरिक और मानसिक कषट, दुर्घटना, अस्वस्थता,मृत्यु ,स्वास्थय लाभ, विवाद का परिणाम, कोट केस दाखिल करने का सही समय जानना आदि। ऐसा कोई भी काम जो किसी एक के साथ ही सम्बन्ध रखता हो।   

स्वस्थ जीवनशैली


हर व्यक्ति चाहता है की वो स्वस्थ और निरोग रहे। लेकिन आज कल की भागदोड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति अपनी सेहत और अपने खान-पान की तरफ ध्यान नहीं दे पाते। जिस के कारण शरीर और मन दोनों स्वस्थ नहीं रहते। कई तरह की बीमारिया जैसे तनाव, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर,शुगर, मोटापा, गैस, कब्ज सम्बंधित बीमारीओं का सामना करना पड़ता है। और कम उम्र में ही बूढ़े लगने लगते है। अगर थोड़ा सा समय निकाल कर व्यक्ति रोजाना की जिंदगी में कुछ नियम बना ले तो वह शारीरिक और मानसिक स्वस्थ रह सकता है।

स्वस्थ जीवन, मन की शांति और एकाग्रता के लिए 7 से 8 घंटे के लिए नींद लेना चाहिए, मैडिटेशन करे, पूजा-पाठ जिस भी धर्म को मानते हो उसका करे, सुबह-शाम कसरत,सैर करे, फलों का अधिक सेवन करे हो सके तो नाश्ते में फल और दूध ले, पानी की पर्याप्त मात्रा ले, तेज मसालों से परहेज करे, मास-मछली के सेवन से बचे, खाना संतुलित मात्रा में खाये, चाय की जगह दूध का सेवन करे, किसी भी तरह की नशीली वास्तु का सेवन न करे।   

चैत्र नवरात्र और पूजा मुहूर्त


हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र प्रतिपदा के दिन हिन्दू नववर्ष विक्रमी संवत्सर की शुरुआत होती है और प्रतिपदा से आरंभ हो कर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना और उपवास का विधान है। माँ नवदुर्गा की कृपा पाने के लिए नवरात्रो के नौ दिन बहुत खास महत्व रखते हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्रो का पर्व 28 मार्च 2017 से ले कर 5 अप्रैल 2017 मनाया जायेगा। ज्योतिष द्रिष्टि से सूर्य 12 राशियो का भ्रमण पूरा करने के बाद फिर से प्रथम राशि मेष में प्रवेश करता है और ग्रीष्म ऋतू की शुरुआत हो जाती है।
प्रतिपदा तिथि क्षय होने के कारण घटस्थापना महूर्त अमावस्या तिथि के दिन निर्धारित किया गया है प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ 28 मार्च 2017 को 08 :26 और प्रतिपदा तिथि समापत 29 मार्च 2017 को 05 :44 पर

घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 8:26 से लेकर 10:24 तक

शुभ चौघड़िया मुहूर्त घटस्थापना के लिए :-
चर - 09 :23 से 10 :55
लाभ -10 :55 से 12 :26
अमृत -12 :26 से 13 :58
अभिजीत मुहूर्त :-12:01 से 12:50

पहला नवरात्र 28 मार्च प्रथमा तिथि दिन मंगलवार :- पूजन माँ शैलपुत्री
दूसरा नवरात्र 29 मार्च द्वितीया तिथि  दिन बुधवार :- पूजन माँ ब्रह्मचारणी
तीसरा नवरात्र 30 मार्च तृतीया तिथि दिन बृहस्पतिवार :- पूजन माँ चंद्रघंटा
चौथा नवरात्र 31 मार्च चतुर्थी तिथि दिन शुक्रवार :- पूजन माँ कुष्मांडा
पांचवा नवरात्र 01 अप्रैल पंचमी तिथि दिन शनिवार :- पूजन माँ स्कंदमाता
छठा नवरात्र 02 अप्रैल षष्टी तिथि दिन रविवार :- पूजन माँ कात्ययानी
सातवा नवरात्र 03 अप्रैल सप्तमी तिथि दिन सोमवार :- पूजन माँ कालरात्रि
आठवा नवरात्र 04 अप्रैल अष्ठमी तिथि दिन मंगलवार :- पूजन माँ महागौरी
नवम नवरात्र 05 अप्रैल नवमी तिथि दिन बुधवार :- पूजन माँ सिद्धिदात्री राम नवमी